Saturday, December 10, 2016

लगातार 7 दिन लहसुन और शहद का सेवन करने के फायदे

  • लहसुन और शहद के बारें में तो आप अच्छी तरह जानते होगे। लहसुन का इस्तेमाल मसाले के रुप में किया जाता हैं। लेकिन आप जानते है कि इसतका सेवन करने से आप कई बीमारियों से भी बच जाते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करके हर तरह के इंफेक्शन को भी खत्म करता है। साथ ही इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता हैं।
  • अगर आप लगातार सात दिन शहद और लहसुन का बना पेस्ट का सेवन करेगे, तो कुछ ही दिनों में आपको सेहत संबंधी ऐसे प्रभाव नजर आएगे, कि आप देखते रह जाएगे। जानिए इसे बनाने की विधि और इसका सेवन करने के फायदों के बारें में।
  1. सर्दी-जुकाम से दिलाए निजात : इसमें भरपूर मात्रा में ऐसे तत्व पाएं जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में गर्मी आती हैं। जिसके कारण आपको सर्दी-जुकाम जैसी समस्या से निजात मिल जाता है। 
  2. दिल को रखें हेल्दी : लहसुन और शदह के पेस्ट का सेवन करना आपके दिल के लिए काफी फायदेमंद हैं। इसका सेवन करने से आपके दिल की धमनियों में जमा वसा बाहर निकल जाता है। जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन ठीक ढंग से होने लगता हैं। जो कि दिल के लिए फायदेमंद हैं।
  3. इम्यूनिटी सिस्टम को करें मजबूत : अगर आपका इसका सेवन करते है तो आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा। जिसके कारण आपको कभी कोई बीमारी नहीं हो पाएगी। www.allayurvedic.org
  4. डीटॉक्स : यह एक प्राकृतिक डीटॉक्स का पेस्ट है। जिसका सेवन करने से आपके शरीर में मौजूद गंदगी और बेकार की चीजों को बाहर निकाल देता है। जिसके कारण आप सेहतमंद रहते है।
  5. बचाए डायरिया से : अगर आपको बार-बार डायरिया की समस्या हो रही है, तो इस पेस्ट का सेवन काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं। इसका सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक ढंग से काम करता हैं। जिसके कारण आपको पेट संबंधी किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होता हैं।
  6. गले के इंफेक्शन को करें दूर : इस पेस्ट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है। जिसके कारण इसका सेवन करने से आपके गले में खराश और सूजन से आपको आराम मिल जाएगा।
➡ बनाने की विधि :
  • 2-3 बड़ी लहसुन की कली को हल्का सा दबा कर कूट लीजिए और फिर उसमें शुद्ध कच्ची शहद मिलाइए। इसे कुछ देर के लिये ऐसे ही रहने दीजिये, जिससे लहसुन में पूरा शहद समा जाए। फिर इसे सुबह खाली पेट 7 दिनों तक खाएं। फिर इसका फायदा देखे।

खाने के साथ पानी अमृत है या ज़हर



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Mith Kumar
9818056933

Awareness


यूरिक एसिड हमारे जीवन में रोगों का घर :
  • यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिन एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिन एसिड में बदलने की प्रक्रिया को यूरिन एसिड कहते हैं। भोजन पाचन प्रक्रिया दौरान प्रोटीन से ऐमिनो एसिड और प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडो से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक एसिड का मतलब है, जो भोजन खाया जाता है, उसमें प्यूरीन पोष्टिकता संतुलन की कमी से रक्त में असंतुलन प्रक्रिया है। जिससे प्यूरीन टूटने से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक ऐसिड एक तरह से हड्डियों जोड़ों अंगों के बीच जमने वाली एसिड़ क्रिस्टल है। जोकि चलने फिरने में चुभन जकड़न से दर्द होता है। जिसे यूरिक एसिड कहते हैं। शोध में यूरिक एसिड को शरीर में जमने वाले कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन सी-5, एच-4, एन-4, ओ-3 का समायोजक माना जाता है। यूरिक एसिड समय पर नियत्रंण करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड बढ़ने पर समय पर उपचार ना करने से जोड़ों गाठों का दर्द, गठिया रोग, किड़नी स्टोन, डायबिटीज, रक्त विकार होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को नियत्रंण करना अति जरूरी है। 
➡ यूरिक एसिड के लक्षण :
  1. पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
  2. पैर एडियों में दर्द रहना।
  3. गांठों में सूजन
  4. जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
  5. एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामन्य हो जाना।
  6. पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
  7. शर्करा लेबल बढ़ना। इस तरह की कोई भी समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।
➡ यूरिक एसिड नियत्रंण करने के आर्युवेदिक तरीके :

  • 1. यूरिक एसिड बढ़ने पर हाईड्रालिक फाइबर युक्त आहार खायें। जिसमें पालक, ब्रोकली, ओट्स, दलिया, इसबगोल भूसी फायदेमंद हैं।
  • 2. आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
  • 3. टमाटर और अंगूर का जूस पीने से यूरिक एसिड तेजी से कम करने में सक्षम है।
  • 4. तीनो वक्त खाना खाने के 5 मिनट बाद 1 चम्मच अलसी के बीज का बारीक चबाकर खाने से भोजन पाचन क्रिया में यूरिक ऐसिड नहीं बनता।
  • 5. 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अश्वगन्धा पाउडर को 1 कप गर्म दूध के साथ घोल कर पीने से यूरिक एसिड नियत्रंण में आता है।
  • 6. यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।
  • 7. यूरिक एसिड बढ़ने पर खाने से 15 पहले अखरोट खाने से पाचन क्रिया शर्करा को ऐमिनो एसिड नियत्रंण करती है। जोकि प्रोटीन को यूरिक एसिड़ में बदलने से रोकने में सहायक है।
  • 8. विटामिन सी युक्त चीजें खाने में सेवन करें। विटामिन सी यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते विसर्ज करने में सहायक है।
  • 9. रोज 2-3 चैरी खाने से यूरिक एसिड नियत्रंण में रखने में सक्षम है। चेरी गांठों में एसिड क्रिस्टल नहीं जमने देती।
  • 10. सलाद में आधा नींबू निचैड कर खायें। दिन में 1 बार 1 गिलास पानी में 1 नींबू निचैंड कर पीने से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से निकलने में सक्षम है। चीनी, मीठा न मिलायें।
  • 11. तेजी से यूरिक एसिड घटाने के लिए रोज सुबह शाम 45-45 मिनट तेज पैदल चलकर पसीना बहायें। तेज पैदल चलने से एसिड क्रिस्टल जोड़ों गांठों पर जमने से रोकता है। साथ में रक्त संचार को तीब्र कर रक्त संचार सुचारू करने में सक्षम है। पैदल चलना से शरीर में होने वाले सैकड़ों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। तेज पैदल चलना एसिड एसिड को शीध्र नियत्रंण करने में सक्षम पाया गया है।
  • 12. बाहर का खाना पूर्ण रूप से बन्द कर दें। घर पर बना सात्विक ताजा भोजन खायें। खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, फाइबर युक्त संतुलित पौष्टिक आहर लें।
  • 13. रोज योगा आसान व्यायाम करें। योग आसान व्यायाय यूरिक एसिड को घटाने में मद्दगार है। साथ में योगा-आसान-व्यायाम करने से मोटापा वजन नियत्रंण रहेगा।
  • 14. ज्यादा सूजन दर्द में आराम के लिए गर्म पानी में सूती कपड़ा भिगो कर सेकन करें।
  • 15. यूरिक एसिड समस्या शुरू होने पर तुरन्त जांच उपचार करवायें। यूरिक एसिड ज्यादा दिनों तक रहने से अन्य रोग आसानी से घर बना लेते हैं। 
➡ यूरिक ऐसिड बढ़ने पर खान-पान : अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गये वीडियो देखे और हमारा Youtube चैनल Subscribe करे।
  1. यूरिक एसिड बढ़ने पर मीट मछली सेवन तुरन्त बंद कर दें। नॉनवेज खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है। औषधि दवाईयां असर कम करती है।
  2. यूरिक एसिड बढ़ने पर अण्डा का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर दें। अण्डा रिच प्रोटीन वसा से भरपूर है। जोकि यूरिक एसिड को बढ़ता है।
  3. बेकरी से बनी सही खाद्य सामग्री बंद कर दें। बेकरी फूड प्रीजरवेटिव गिला होता है। जैसेकि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, बंन्न, क्रीम बिस्कुट इत्यादि।
  4. यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त जंकफूड, फास्ट फूड, ठंडा सोडा पेय, तली-भुनी चीजें बन्द कर दें। जंकफूड, फास्टफूड, सोडा ठंडा पेय पाचन क्रिया को और भी बिगाड़ती है। जिससे एसिड एसिड तेजी से बढता है।
  5. चावल, आलू, तीखे मिर्चीले, चटपटा, तले पकवानों का पूरी तरह से खाना बन्द कर दें। यह चीजें यूरिक एसिड बढ़ाने में सहायक हैं।
  6. बन्द डिब्बा में मौजूद हर तरह की सामग्री खाना पूरी तरह से बंद कर दें। बन्द डब्बे की खाने पीने की चीजों में भण्डारण के वक्त कैम्किल रसायन मिलाया जाता है। जैसे कि तरह तरह के प्लास्टिक पैक चिप्स, फूड इत्यादि। हजारों तरह के बन्द डिब्बों और पैकेट की खाद्य सामग्री यूरिक एसिड तेजी बढ़ाने में सहायक है।
  7. एल्कोहन का सेवन पूर्ण रूप से बन्द कर दें। बीयर, शराब यूरिक एसिड तेजी से बढ़ती है। शोध में पाया गया है कि जो लोग लगातार बीयर शराब नशीली चीजों का सेवन करते हैं, 70 प्रतिशत उनको सबसे ज्यादा यूरिक एसिड की समस्या होती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त बीयर, शराब पीना बन्द कर दें। बीयर शराब स्वस्थ्य व्यक्ति को भी रोगी बना देती है। बीयर, शराब नशीली चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

Wednesday, November 30, 2016

नेगेटिव सोच वालों की पहचान

नेगेटिव सोच वालों की पहचान करने के लिए आपको जानना होगा उनसे जुड़ी इन 12 ख़ास बातों को



Friday, November 25, 2016

सोलह श्रृंगार के नाम-

What is Solah Shringar
क्या हैं सोलह श्रृंगार ?
स्त्रियों के लिए हिन्दू शास्त्रों में सोलह श्रृंगार निर्धारित किए गए हैं | प्राचीन ग्रंथो में वर्णित सोलह श्रंगार, आदिकाल से चली आ रही श्रंगार परंपरा की एकरसता को दर्शाती हैं | जानिए solah shringar list in Hindi language
Solah shringar names : सोलह श्रृंगार के नाम-
स्नान (Bathing) : श्रंगार का सर्वप्रथम क्रम स्नान से प्रारंभ होता हैं | शास्त्रानुसार स्नान के भी कई प्रकार होते हैं |
वस्त्र : बिना वस्त्रों के तो सारा सौंदर्य कांतिहीन प्रतीत होता है | प्रस्तर युग से ही शीत, ग्रीष्म से बचने के लिए मनुष्य ने वृक्षों की छाल व पशुओं की खाल से अपना तन ढँकना शुरू कर दिया था | कालांतर में सभ्यता के विकास के साथ-साथ वस्त्रों में भी वैरायटी आ गई | वस्त्रों को विभिन्न वस्तुओं से सजाया भी जाने लगा | वस्त्रों का पहनना मात्र ही उसकी मर्यादा को प्रतीत करता हैं |
हार : हार पहनने के पीछे वास्तव में स्वाथ्यगत कारण हैं | गले और इसके नजदीकी क्षेत्र में ऐसे प्रेशर बिंदु होते हैं, जिनसे शरीर के कई हिस्सों को लाभ प्राप्त होता होता हैं | इसीलिए हार को सौंदर्य का दर्जा दे दिया गया और हार श्रृंगार का अभिन्न अंग बन गया |
 
बिंदी : मस्तक सौंदर्य में बिंदी का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता हैं | इसे सौभाग्य का प्रतिक भी कहा गया हैं | शास्त्रों के ज्ञाताओं ने बिंदी लगाने के पीछे कई शास्त्रीय तर्क दियें हैं |
अंजन : आँखों को सुन्दर बनाने के लिए एवं आँखों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अंजन (काजल) का प्रयोग किया जाता हैं | अंजन का प्रयोग बुरी नजर से बचने के लिए भी किया जाता हैं |
अधरंजन : होंठो या अधरों की सुंदरता बढाने के लिए उन्हें कई रंगो से रंगा जाता हैं | प्राचीन काल में फूलों के रसों द्वारा यह कार्य संपन्न किया जाता था |
  नथ या नथनी : नाक को शोभामय बनाने के लिए नाक में छेद करके कई प्रकार की नथ पहनी जाती हैं | सौंदर्य वृद्धि के साथ-साथ मुख से सम्बंधित बिन्दुओ के द्वारा मुख सौंदर्य बने रखने में नथ सहयोग देती हैं |
केश सज्जा : मुख की आभा बढ़ाने में केशो का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं | केशों को सुगन्धित तेलों से सराबोर करके उन्हें विभिन्न आकारों में सजाना, शृंगार को बढ़ा देता हैं |
कंचुकी : प्राचीन काल में स्त्रियों में अधिकतर दो तरह के वस्त्र पहनने की प्रथा थी | अधोवस्त्र तथा उत्तरीय | अधोवस्त्र के साथ कंचुकी को पहना जाता हैं |
उबटन : प्राचीन काल में विभिन्न प्रकार के फूलों तथा जड़ी-बूटियों से तैयार विशेष प्रकार के उबटन प्रयोग में लाए जाते थे, जो तत्वों को स्निग्ध और कोमल बनाये रखते थे |
 पैंजनियां : पैरों की शोभा के लिए पैंजनियां का प्रयोग होता हैं | मधुर स्वर के साथ इससे छाल में मादकता का आभास होता हैं |
इत्र : सोलह शृंगार में इत्र का महत्वपूर्ण स्थान हैं | इसमें उत्तेजना फैलाने से लेकर आकर्षित करने तक के गुण पाए जाते हैं | प्राचीन काल में फूलों के अर्क से इत्र बनाया जाता था |
कंगन : कलाइयों के सौंदर्य और सौभाग्य का प्रतिक कंगन, अधिकांश स्त्रियों द्वारा धारण किया जाता हैं | कंगन का प्राचीन शास्त्रों में काफी वर्णन मिलता हैं
कमरबंध : कमर को सौंदर्यवान बनाने के लिए कमरबंध का प्रयोग किया जाता हैं | इसे सोने, चाँदी के साथ हीरे, मोती जड़कर विभिन्न आकारों में बनाया जाता हैं |
 चरणराग : पैर व हांथो की हथेलियों की सौंदर्य वृद्धि तथा त्वचा की सुरक्षा के लिए मेहंदी लगाने की परम्परा है |
दर्पण : सम्पूर्ण सौंदर्य को निहारने के लिए दर्पण को भी सोलह श्रृंगारों में विशेष दर्ज प्राप्त हैं | सौंदर्य में कमी न रह जाए, इसलिए दर्पण का प्रयोग जरुरी है |

स्वप्न फल

सपनों में शरीर के अंग देखना का फल
नाक – अधिकार प्राप्त होगा
कान – पुत्र-पत्नी से सुख मिलेगा
मुंह – संपर्क का दायरा बढ़ेगा
चेहरा – साहस एवं पराक्रम में वृद्धि होगी
सिर – मान-सम्मान की प्राप्ति होगी
सिर के बाल – सौंदर्य एवं शक्ति में वृद्धि होगी
मस्तक – रोब एवं मर्तबा बढ़ेगा
भौंहें – प्रदिद्धि बढ़ेगी
पलकें – व्यवहार में मधुरता आएगी
आंखें – भलाई के काम संपन्न होंगे
होंठ – धन लाभ होगा
जीभ – लड़ाई-झगड़ा होगा
दांत – किसी परिजन की मृत्यु होगी
ठोड़ी – विशेष व्यक्ति से मित्रता होगी
मूंछ – कर्ज का बोझ उतरेगा
सीना – मान-सम्मान प्राप्त होगा
वक्षस्थल – पुत्रियों का विवाह होना
पेट – धन में वृद्धि होगी
हाथ – नई योजनाएं बनेंगी
उंगलियां – भाई-बहनो से सुख मिलेगा
पासलिया – स्त्रियों द्वारा कोई भेद खुल जाएगा
दाढ़ी – अधिकार में वृद्धि होगी
गला – भलाई के काम होंगे
कंठ – व्यवहार कुशलता बढ़ेगी
कनपटी – रोजी-रोजगार मिलना
जबड़ा – व्यापार में प्रगति होना
कंधे – जिम्मेदारियों में वृद्धि होना
बाजू – शरीर शक्तिशाली होगा
पीठ – मान प्रतिष्ठा बढ़ना
कमर – प्रसिद्धि मिलेगी
नितम्ब – सौभाग्य की प्राप्ति होगी
पैर – दूर निकट की यात्रा होगी
एड़ी – ताकत बढ़ेगी
पैर के तलुए – सौभाग्य की प्राप्ति होगी
पैर की उंगलियां – धन में वृद्धि होगी
हथेली – धन- संपत्ति मिलेगी
योनि – मुस्किले आसान होगी
जांघे – परिवार में वृद्धि होगी
पिंडलियाँ – रोजगार मिलेगा
घुटना – धन प्राप्त होगा
टखना – नए अनुबंध होंगे
हाथ का अंगूठा – विशवघात होने का भय
पैर का अंगूठा – कहीं की यात्रा होगी
सपनो में धर्म स्थल देखना का फल
साधना केंद्र – सुख-शांति प्राप्त होगी
गुरुद्वारा – ज्ञान में वृद्धि होगी
चर्च – असीम शांति मिलेगी
मजार – कष्टों का निवारण होगा
मंदिर – शुभ कार्य संपन्न होंगे
मस्जिद – परेशानियां दूर होंगी
सपनों में रत्न आदि देखना का फल
मूंगा – रोग, कष्ट एवं शत्रु नष्ट होंगे
गोमेद – समस्या की स्थिति में परिवर्तन होगा |
लहसुनिया – मान-सम्मान मिलेगा |
फिरोजा – व्यापार या रोजगार के अवसर आएँगे |
लाजवर्द – यश में वृद्धि होगी |
सुलेमानी – मित्रों से मतभेद होगा |
माणिक्य – अधिकारों में वृद्धि होगी |
मोती – सुख-शांति प्राप्ति होगी |
पन्ना – धन लाभ होगा |
पुखराज – घर में क्लेश होगा |
हिरा – किसी से प्रेम सम्बन्ध बनेंगे |
नीलम – उन्नति एवं प्रगति होगी |
स्फटिक – धर्म-कर्म में रूचि बढ़ेगी |
लालड़ी – आकस्मिक रूप से धन प्राप्त होगा |
कटैला – स्वास्थ्य कमजोर रहेगा |
सपनो में धातुएं देखने का फल
पीतल – धन लाभ होना
रांगा – परेशानियां बढ़ेगी
कांसा – रोग नसथ होंगे
पारा – कसथ दूर होंगे
स्टील – किसी का भेद खुल जाएगा
सोना – पेंसो का संकट बढ़ेगा
चांदी – प्यार में दोखा मिलेगा
ताम्बा – कोई दुर्घटना होगी
लोहा – अचानक विपत्ति आएगी
सोना एवं चांदी – आर्थिक परेशानी दूर होगी
तम्बा और चांदी – परिजनों से विछोह होगा
रांगा एवं कांसा – कोई विपत्ति आएगी
त्रिधातु – वहां दुर्घटना होगी
पंच धातु – विदेश यात्रा होगी
सप्त धातु – स्वास्थ्य में सुधार होगा
अष्ट धातु – सफलता की प्राप्ति होगी
सपनो में रंगो को देखने का फल
सफ़ेद रंग – सुख समृद्धि प्राप्त होगी
बैंगनी रंग – वैराग्य के भाव उत्पन्न होंगे
लाल रंग – रोग नष्ट होंगे
नीला रंग – संघर्ष के बाद विजय प्राप्त होगी
पिला रंग – ईष्या,द्वेष समाप्त होंगे
हरा रंग – सुख शांति बढ़ेगी
काला रंग – अशुभ घटना होगी
आसमानी रंग – मन प्रसन्न रहेगा
नारंगी रंग – सुखद कार्यकलाप होंगे
कत्थई रंग – उदासीनता में वृद्धि होगी
गुलाबी रंग – धन प्राप्ति होगी
काला एवं सफ़ेद रंग – समस्या से परेशान होंगे
लाल एवं हरा रंग – व्यापार में उन्नति होगी
हरा एवं काला रंग – धन का नाश होगा
लाल एवं नीला रंग – साहस एवं पराक्रम बढ़ेगा
हरा एवं नारंगी रंग – धार्मिक स्थल की यात्रा होगी
लाल तथा पिला रंग – सौभाग्य प्राप्त होगा
सपनो में ताश के पत्ते देखना का फल
ताश की गड्डी – धन प्राप्त होना
ताश खेलना – प्रेम में सफलता मिलेगी
ताश की गड्डी फेंकना – व्यापार-व्यवसाह में प्रगति होना
ताश बांटना – साझेदारों से लाभ
ताश का एक्का – अधिकार प्राप्त होगा
ताश की दुक्की – चिंता एवं समस्या बढ़ेगी
ताश की तिग्गी – व्यापर में उन्नति होगी
ताश का चौका – कष्टों का निवारण होगा
ताश का पंजा – विद्या में वृद्धि होगी
ताश का छक्का – प्रेम-प्रीति में इजाफा होगा
ताश का सत्ता – बनते काम बिगड़ेंगे
ताश का अठ्ठा – संघर्ष के बाद विजय प्राप्त होगी
ताश का नहला – साहस एवं शकी में वृद्धि होगी
ताश का दहला – धन लाभ होगा
ताश का गुलाम – किसी की सहायता लें पड़ेगी
ताश की बेगम – अधिकार प्राप्त होंगे
ताश का बादशाह – मान-सम्मान प्राप्त होगा
ताश का जोकर – यात्रा सुखद होगी
सपनो में धार्मिक ग्रन्थ को देखना का फल
कुरआन मजीद – सुख-शांति मिलेगी
नक्श-ए-सुलेमानी – शक्ति और इल्म बढ़ेगा
बाइबिल – ज्ञान में वृध्दि होगी
वेद – वैराग्य जाग्रत होगा
रामायण – संघर्ष के बाद बिजयी हासिल होगी
श्रीमद भागवद गीता – पाप का नाश होगा
गुरु ग्रन्थ साहिब – धार्मिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी
सपनो में खाने पिने की चीजें देखने का फल
पानी – पीड़ा में वृद्धि होगी
चाय – ऐशो आराम मिलेगा
दूध – धन लाभ होगा
कॉफी – मान-सम्मान में वृद्धि होगी
शरबत – लड़ाई-झगड़ा होगा
दही – धन लाभ होगा
अंगूर का अर्क – अचानक विपत्ति आएगी
खजूर का शिरा – समस्याए बढ़ेंगी
फलों का जूस – पुत्र रत्न प्राप्त होंगे

अन्य स्वप्न फल
दरवाज़ा देखना – किसी बडे आदमी से मित्रता होना |
दरवाज़ा बंद देखना – परेशानियां आने का संकेत
धुंआ देखना – नुक़सान और लड़ाई होना
रोटी खाना – पदोन्नति और धन लाभ होना
प्रकाश देखना – उच्च्कोटी का साधु हो
रुई देखना – स्वस्थ होना
खेती देखना – लापरवाह हो, संतान प्राप्ति हो |
लाठी देखना – नाम पैदा करे
खाई देखना – धन एवं प्रसिद्धि मिले |
कैंची देखना – घर में कलह होना
कलम देखना – किसी महान व्यक्ति से मुलाकात होना
टोपी देखना – दुःख दूर होना, उन्नति प्राप्ति होना |
गाय या बैल देखना – लाभ होना
घास का मैदान देखना – खूब धन एकत्र करे |
घोड़े पर सवार होना – सरदारी या ओहदा मिलना |
लोहा देखना – किसी धनि व्यक्ति से लाभ होना
लोमड़ी देखना – किसी संबंधी से धोखा मिलना
मुर्दे का पुकारना – विपत्ति एवं दुःख की प्राप्ति होना
मुर्दे से बात करना – मुराद पूरी होना
बाजार देखना – दरिद्रता का दूर होना
बड़ी दीवार देखना – सम्मान मिलना
दातुन करना – पाप का प्रायश्चित हो, सुख हो
धरती पर बिस्तर लगाना – दीर्घायु होना
ऊँची जगह पर चढ़ना – पदोन्नति एवं प्रसिद्धि मिलना
बिल्ली या बन्दर का काटना – रोग एवं अर्थ संकट का आना
नदी का पानी पीना – राज्य से लाभ होना
सफ़ेद फूल देखना –  दुःख से छुटकार मिलना
लाल फूल देखना – पुत्र से सुख एवं भाग्योदय होना
तलवार देखना – युद्ध में विजयी होना
सिंहासन देखना – बहुत सुख मिलना
जंगल देखना – दुःख दूर हो, व्यय होना
अर्थी देखना – रोग मुक्त, आयु वृद्धि होना
चांदी देखना – धन एवं अहंकार वृद्धि होना
दिया जलते देखना – आयु वृद्धि होना
पत्र पढ़ना – शुभ समाचार मिलना, परिश्रम बढे
सुगंध लगाना – विद्वान एवं पंडित हो
अनार पाना – धन एवं संतान प्राप्त होना
आकाश देखना – ऐश्वर्य-वृद्धि, पुत्र लाभ
कुवें का पानी देखना – विविध लाभ होना
रत्न या नगीना देखना – दुःख भय, व्यय होना
धुप देखना – पदोन्नति एवं लाभ होना
अग्नि उठाना – अवैध धन प्राप्ति, अवैध व्यय होना
आग जलाकर पकड़ना – कष्ट का सामना होना, व्यर्थ व्यव होना
आकाश में बादल देखना – राज्य से लाभ हो
बादल पूर्ण आकाश देखना – विपत्ति, दुःख एवं परेशानी होना
आंधी और बिजली गिरना – मुसीबत में फसना
सुखा अन्न खाना – विविध कष्ट, व्यर्थ परेशानी हो
ऊंट देखना – अपार धन प्राप्त होना
वर्षा अपने घर पर देखना – घर में कलह और रोग बढ़ना
सुख बाग़ देखना – विपत्ति में फसना
सर के बाल कटे देखना – ऋणमुक्त होना, स्त्री को पुत्र होना
बाल देखना – धन लाभ हो

आकर्षक व्यक्ति कैसे बने*

Law-of-attraction आप जैसा अपने बारे में सोचेंगे आपका व्यक्तित्व वैसा ही बन जाएगा | अधिकतर लोगों का व्यवहार उलझनो से भरा होता है । क्या आपने कभी सोचा की कोई दूकान्दार एक ग्राहक को इज्जत क्यों देता है.
जबकि वह दूसरे ग्राहक को नजर अंदाज कर देता है ? कोई व्यक्ति एक महिला के लिए दरवाजा खोल देता है, जबकि दूसरी महिला के लिए नहीं खोलता ?
हम किसी व्यक्ति की बात  को ध्यान से क्यों सुनते है, जबकि दूसरे व्यक्ति की बातों को  अनसुनी कर देते हैं ? अपने चारों ओर देखें । आप देखेंगे कि बहुत से लोगो को “हे, राहुल” या ” और, यार ” कहकर बुलाया जाता है,  और कई लोगों से महत्वपुर्ण ” यस, सर” कहा जाता है  ।  देखिए ।  आप पाएंगे कि  कुछ लोगों को एहमियत, वफादारी और तारिफ मिलती है जबकि बाकी लोगों को ये सब चीजें नहीं मिलतीं ।
और नजदिक से देखने पर आप पाएंगे की जिन लोगों को सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है वे सबसे ज्यादा सफल भी होते है । ईस बात का कारण क्या है ? अगर मात्र एक शब्द मै इस का उत्तर दिया जाए तो इसका कारण है सोच (Thinking ) ।हमारी सोच के कारण ही  ऐसा होता है । दूसरे व्यक्ति भि हममें वही देखते है, जो हम अपने आपमें देखते और सोचते है ।हमें उसी तरह का भाई चारा, व्यवहार , मिलता है  जिसके काबिल हम खुद को समझते हैं । सोच के कारण ही सारा फर्क पडता है ।
वेसे आदमी जो खुद को हीन समझते है, चाहे उनकी योग्यताए कितनी ही क्यों न हों, वे हीन ही बनें रहेंगे । आप जैसे सोचते, विचारते है  वैसा ही काम करते हैं । और वैसे ही हो जाते है । चाहे वह अपनी हीनता छुपाने का कितना भी प्रयास करे, यह मुलभूत भावना लंबे समय छुप नहीं सकती ।जो व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है, वह सचमूच महत्वपूर्ण नहीं होता । ठिक दूसरी तरफ, वह व्यक्ति जो यह सोचता है कि वह कोई काम कर सकता है, तो वह सचमुच उस काम को कर लेगा । महत्वपूर्ण बनने के लिए यह सोचना, समझना जरुरी है कि में महत्वपूर्ण हू । सचमें ऐसा सोचें । तभी दूसरे लोग भी हमारे बारे में ऐसा सोचेंगे  ईस तर्क को ठिक से पडे |
आप क्या सोचते है, इससे तय होता है कि आप केसा काम करते हैं ।
आप क्या करते हैं इससे तय होता है :
दूसरे आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं ।
दूसरे लोगों का सम्मान पाने के लिए आपको सबसे पहले तो यह सोचना होगा की आप उस सम्मान के काबिल हैं । और आप अपने आपको जितने सम्मान के काबिल समझेंगे, दूसरे लोग आपको उत्ना ही सम्मान देंगे ।
ईस सिध्दांत का प्रयोग करके देख लें । क्या आप के दिल मै कभी किसी गरिब या असफल व्यक्ति के लिए सम्मान देखा हैं । हा आपको द्या आ सकती है लेकिन सम्मान नहीं । क्यों?

क्योकिं वह गरिब या असफल व्यक्ति खूद का सम्मान नहीं करता । वह आत्म-स्म्मान के अभाव में अपनि जिंदगी बर्बाद कर रहा है । आत्म सम्मान हमारे हर काम में साफ दिख जाता है । इसलिए हमें इस तरफ ध्यान देना होगा कि हम किस तरह अपना आत्म सम्मान बढा सकते हैं और दूसरों से सम्मान हासिल कर सकते हैं.

Thursday, November 24, 2016

Be Thankful

कोरिया में एक भिक्षुणी स्त्री एक संन्यासीनी, एक रात एक गांव में भटकती हुई पहूंची । रास्ता भटक गयी थी और जिस गांव में पहूचंना चाहती थी वहां न पहूचंकर, दूसरे गाँव पहूच गयी।उसने जाकर एक घर का दरवाजा खटखटाया, आधी रात थी दरवाजा खुला लेकिन उस गांव के लोग दुसरे धर्म को मानते थे और वह भिक्षुणी दूसरे धर्म की थी। उस दरवाजे के मालिक ने दरवाजा बंद कर लिया और कहा- देवी यह द्वार तुम्हारे लिये नहीं है। हम इस धर्म को नहीं मानते हैं तुम कहीं और खोज कर लो और उसने चलते वक्त यह भी कहा की इस गांव में शायद ही कोई दरवाजा तुम्हारें लिए खुले।क्योंकि इस गांव के लोग दूसरे ही धर्म को मानते है। और हम तुम्हारे धर्म के दुश्मन है। आप तो जानते ही हैं कि धर्म-धर्म आपस में बडे क्षत्रु है। एक गांव का अलग धर्म हैं, दूसरे गांव का अलग धर्म है। एक धर्म वाले को दसूरे धर्म वाले के यहां कोई जगह नहीं, कोई आशा नहीं, कोई प्रेम नहीं, द्वार बंद हो जाते है।द्वार बंद हो गये उस गांव में। उसने दो-चार दरवाजे खटखटाये लेकिन दरवाजे बंद हो गये, सर्दी की रात है। अधंरी रात है वह अकेली स्त्री है , वह कहां जायेगी ? लेकिन धार्मिक लोग इस तरह की बाते कभी नहीं सोचते , धार्मिक लोग ने मनुष्यता जैसी कोई बात कभी सोची ही नहीं। वे हमेशा सोचते हैं हिन्दु हैं या मुसलमान, बौद्ध हैं या जैन। आदमी का सीधा मूल्य उनकी नजर में कभी नही रहा। उस स्त्री को वह गांव छोड देना पडा। आधी रात वह जाकर गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे सो गई।  कोई दो घंटे बाद ठण्ड के कारण उसकी नींद खुली उसने आंख खोली उपर आसमान तारों से भरा है। उस पेड़ पर फुल खिल गये है। रात के खिलने वाले फुल उनकी सुगंध चारों तरफ फैल रही है। पेड़ के फुल चटख रहे है। आवाज आ रही है और फूल खिलते चले जा रहे है।वह आधी घडी मौन उस पेड़ के फूलों को खिलते देखती रही आकाश के तारों को देखती रही। फिर दौडी गांव की तरफ फिर जाकर उसने उन दरवाजों को खटखटाया जिन दरवाजों को उनके मालिकों ने बंद कर लिया था।

आधी रात फिर कौन आ गया ? उन्होंने दरवाजे खोले, वह भिक्षुणी खडी है। उन्होंने कहा हमने मना कर दिया यह द्वार तुम्हारें लिये नहीं हैं फिर दोबारा क्यों आ गई हो। लेकिन उस स्त्री के आंखों से कृतज्ञता के आंसु बहे जाते है। उसने कहा नहीं अब द्वार खुलवाने नहीं आयी, अब ठहरने नहीं आई केवल धन्यवाद देने आई हूं।
 अगर तुम आज मुझे अपने घर में ठहरा लेते तो रात आकाश के तारे ओर फूलो का चटख कर खिल जाना मैं देखने से वंचित ही रह जाती। मैं सिर्फ धन्यवाद देने आई हूं कि तुम्हारी बडी कृपा थी कि तुमने द्वार बंद कर लिये और मैं खुले आकाश के नीचे सो सकी। तुम्हारी बडी कृपा थी कि तुमने घर की दीवालों से बचा लिया और खुले आकाश में मुझे भेज दिया।जब तुमने भेजा था तब तो मेरे मन को लगा था कैंसे बूरे लोग हैं, अब मैं यह कहने आई हूं कि कैंसे भले लोग हैं इस गांव के मैं धन्यवाद देने आई हूं। परमात्मा तुम पर पर कृपा करें।
जैसी तुमने मुझे एक अनुभव की रात दे दी, जो आनन्द मैंने आज जाना हैं जो फूल मैंने आज खिलते देखे हैं जैसे मेरे भीतर भी कोई चाटख गई हो और खिल गई हो। जैसी आज अकेली रात में आकाश के तारे देखे हैं जैसे मेरे भीतर ही कोई आकाश स्पष्ट हो गया हो, और तारे खिल गये हो मैं उसके लिए धन्यवाद देने आई हूं। भले लोग हैं तुम्हारे गांव के |

तुम कभी न भर पाओगे

एक फकीर ने एक सम्राट के द्वार पर दस्तक दी | सुबह का वक़्त था और सम्राट बगीचे में घूमने निकला था | सहयोग की बात सामने ही सम्राट मिल गया |फकीर ने अपना पात्र उसके सामने कर दिया सम्राट ने कहा क्या चाहते हो ?? फकीर ने कहा कुछ भी दे दो “शर्त एक हैं” मेरा पात्र पूरा भर जाएं | में थक गया हूँ, यह पात्र भरता ही नहीं | सम्राट हंसने लगा और कहा तुम पागल मालुम होते हो | पागल न होते तो, फकीर ही क्यों होते, यह छोटा सा पात्र भरता नहीं ?…फिर सम्राट ने अपने वजीर से कहा लाओ स्वर्ण-अशर्फियों से भर दो, इस फकीर का मुंह सदा के लिए बंद कर दो | फ़क़ीर ने कहा में फिर याद दिला दू की भरने की कोशिश अगर आप करते हैं तो यह शर्त है की जब तक भरेगा नहीं पात्र में हटूंगा नहीं | सम्राट ने कहा तू घबरा मत पागल भर देंगे | सोने से भर देंगे, हिरे जवाहरात से भर देंगे | लेकिन जल्द ही सम्राट को अपनी भूल समझ में आ गई अशर्फियां डाली गई और खो गई | हिरे डालें गयें और खो गयें | लेकिन सम्राट भी जिद्दी था और फिर फ़क़ीर से हार माने यह भी तो जंचता न था | सारी राजधानी  में खबर पहुंच गई हजारों लोग इकट्ठे हो गए |सम्राट अपना खजाना उलीचता गया | उसने कहा आज दांव पर लग जाना हैं सब डूबा दूंगा मगर उसका पात्र भरूंगा | शाम हो गई | सूरज ढलने लगा | सम्राट के कभी खाली न होने वाले खजाने खाली हो गए लेकिन पात्र नहीं भरा सो नहीं भरा | वह गिर पड़ा फकीर के चरणों में और कहा मुझे माफ़ कर दो | मेरी अकड़ मिटा दी अच्छा किया | में तो सोचता था यह अक्षत खजाना है, लेकिन यह तेरे छोटे से पात्र को भी न भर पाया | बस अब एक ही प्रार्थना है में तो हार गया मुझे क्षमा कर दो |मेने व्यर्थ ही तुझे आशवाशन दिया था भरने का | मग़र जाने से पहले एक छोटी सी बात मुझे बताते जाओ | दिन भर यही प्रश्न मेरे मन में उठेगा | यह पात्र क्या है, किस जादू से बनाया है | फकीर हंसने लगा उसने कहा किसी जादू से नहीं ‘इसे आदमी के ह्रदय से बनाया गया है | न आदमी का ह्रदय भरता है न यह पात्र भरता है | 
इस जिंदगी में कोई और चीज तुम्हे छका न सकेगी | तुम्हारा पात्रा खाली का खाली रहेगा | कितना ही धन डालो इसमें खो जाएगा | कितना ही पद डालो इसमें खो जायेगा, पात्र खाली का खाली ही रहेगा | तुम भरोगे नहीं | भरता तो आदमी तो केवल परमात्मा से हैं | क्योंकि अनंत है हमारी प्यास, अनन्त है हमारा परमात्मा तो अनंत को अनंत ही भर सकेगा |

The Secret Of Happiness Learn To Discover Happiness in Life

परिस्थितियां दुःख का कारण नहीं है।
Key Of Happiness Is In Your Hand
The Secret Of Happiness
Learn To Discover Happiness in Life
असली कारण, जो हम नहीं करना चाहते उसके लिए हमेशा Justification, उसके लिए हमेशा न्यायुक्त कारण खोज लेते है। और बेफिक्र हो जाते हैं। ऐसी कौन सी परिस्थिति हैं जिसमें आदमी शांत हो सके ? ऐसी कौन सी परिस्थिति हैं जिसमें आदमी प्रेमपूर्ण हो सके ? ऐसी कौन सी परिस्थिति हें जिसमें आदमी थोडी देर के लिए मौन और शांति में प्रविष्ट हो सके ? हर परिस्थिति में वह होना चाहे तो बिलकुल हो सकता है।
युनान में एक वजीर को उसके सम्राट ने फांसी की सजा दे दी थी, सुबह तक सब ठीक था। दोपहर वजीर के घर सिपाही आये और उन्होंने घर को चारों तरफ से घेर लिया और वजीर को जाकर खबर दी कि आप कैद कर लिये गये हैं और सम्राट की आज्ञा हैं कि आज शाम 6 बजे आपको फांसी दे दी जायेगी।
वजीर के घर उसके मित्र आये हुए थे, एक बडे भोजन का आयोजन था, वजीर का जन्मदिन था उस दिन एक बडे संगीतज्ञ को बुलाया गया था। वह अभी-अभी अपनी वीणा लेकर हाजिर हुआ था।
अब उसका संगीत शुरू होने को था, संगीतज्ञ के हाथ ढीले पड गये। वीणा उसने एक ओर टिका दी, मित्र उदास हो गये, पत्नी रोने लगी। लेकिन उस वजीर ने कहा 6 बजने में अभी बहुत देर हैं तब तक गीत पूरा हो जायेगा तब तक भोजन भी पूरा हो जायेगा। राजा की बडी कृपा हैं कि 6 बजे तक कम से कम उसने फांसी नही दी।
लेकिन वीणा बंद क्यों हो गई ? भोज बंद क्यों हो गया ? मित्र उदास क्यों हो गये ? छः बज ने में अभी बहुत देर हैं। छः बजे तक कुछ भी बंद करने की कोई जरूरत नहीं लेकिन मित्र कहने लगे अब हम भोजन कैंसे करें ? संगीतज्ञ कहने लगा अब मैं वीणा कैंसे बजाउं ? परिस्थिति बिलकुल अनुकुल नहीं रही।
वह आदमी हंसने लगा जिसको फांसी होने की थी, उसने कहा इससे अनुकुल परिस्थिति और क्या होगी ? छः बजे मैं मर जाउंगा क्या यह उचित होगा कि उससे पहले मैं संगीत सुन लूं, उससे पहले मैं अपने मित्रों के संग हंस लूं , बोल लूं, मिल लूं? क्या यह उचित होगा कि मेरा घर एक उत्सव का स्थान बन जायें, क्योंकि शाम छः बजे मुझे हमेषा को विदा हो जाना है।घर के लोग कहने लगे, परिस्थिति अब अनुकुल रही कि अब कोई वीणा बजायें, परिस्थिति अनुकुल रही कि अब कोई भोजन हो। लेकिन वह आदमी कहने लगा इससे अुनकुल परिस्थिति और क्या होगी? जब छः बजे मुझे हमेशा के लिए विदा हो जाना हैं तो क्या यह उचित होगा कि विदा होते क्षणों में मैं संगीत सुनु , क्या यह उचित होगा कि मित्र उत्सव करें, क्या यह उचित होगा कि मेरा घर एक उत्सव बन जायें, कि जाते क्षण में मेरी स्मृति में वे थोडे से पल टिके रह जायें जो मैंने अंतिम क्षण में विदाई के क्षण में अनुभव किये थे।
और उस घर में वीणा बजती रही और उस घर में भोजन चलता रहा, यदपि लोग उदास थे संगीतज्ञ उदास था लेकिन वह वजीर खुश था वह प्रसन्न था राजा को खबर मिली राजा देखने आया की वह वजीर पागल तो नहीं हैं और जब वह पहूंचा तो घर में वीणा बजती थी मेहमन इकट्ठे थे और राजा जब भीतर गया तो वजीर खुद भी आनन्दमग्न बैठा था |
तो उस राजा ने पुछा तूम पागल हो गये, हो। खबर नहीं मिली कि शाम 6 बजे मौंत तुम्हारी रही है। ? उसने कहा खबर मिल गयी, इसलिए आनन्द के उत्सव को हमने तीव्र कर दिया हैं उसे शिथिल करने का तो सवाल था क्योंकि छः बजे तो मैं विदा हो जोउंगा, तो छः बजे तक आनन्द के उत्सव को हमने तीव्र कर दिया है। क्योंकि यह अंतिम विदा के क्षण स्मरण रह जायें।
राजा ने कहा- ऐसे आदमी को फांसी देना व्यर्थ हैं, जो आदमी जीना जानता है उसे मरने की सजा नहीं दी जा सकती। उसने कहा- सजा मैं वापस ले लेता हूं, ऐस प्यारे आदमी को अपने हाथों से मारूं यह ठीक नहीं,
जीवन में क्या अवसर हैं, क्या परिस्थिति हैं यह इस बात पर निर्भर नहीं होता कि परिस्थिति क्या है ? यह इस बात पर निर्भर होता हैं कि उस परिस्थिति को आप किस भांति लेते हैं ? किस Attitude में किस द्रष्टि से , तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी ऐसी परिस्थिति हो सकती हैं जो आपके जीवन में सुख-आनंद की तरफ जाने से आपको रोकती हो  आप ही अपने को रोकना चाहते हो तो बात दूसरी है। तब हर परिस्थिति रोक सकती है। और आपही अपने को रोकना चाहते हो तो कोई ऐसी परिस्थिति कभी थी और कभी हो सकती है।

थोडा ध्यान से अपनी द्रष्टि को देखने की कोशिश करे। परिस्थिति को दोष मत देना थोडा ध्यान करना इस बात पर कि मेरा दृष्टिकोण परिस्थिति को समझने की मेरी वृत्ति, मेरी अप्रोच, मेरी पहूंच तो कही गलत नही है, कहीं मैं गलत ढंग से तो चीजों को नही ले रहा हूं। फिर आप पाएंगे की सुख दुःख सफलता असफलता सब कुछ आपके नजरिये पर निर्भर करती हैं अपनी सोच बदलो, फिर आपको हार में भी जीत दिखेगी, दुःख में भी सुख दिखेगा |