Sunday, July 12, 2015

विपन्नता भविष्य के लिए उत्साह का संचार करती है

सच्चाई यह है कि मनुष्य हमेशा विपन्नता में जिया है। विपन्नता की अच्छी बात यह है कि वह कभी तुम्हारी आशा को नष्ट नहीं करती। वह कभी तुम्हारे स्वप्नों के खिलाफ नहीं जाती। वह हमेशा आने वाले कल के लिए उत्साह का संचार करती है। इस विश्वास में व्यक्ति को आशा रहती है कि कल सब कुछ बेहतर हो जाएगा। यह अंधकारमय काल व्यतीत हो रहा है, शीघ्र ही प्रकाश हो जाएगा। लेकिन यह स्थिति बदल गई है।विकसित देशों में लोगों ने लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और लक्ष्य की यह प्राप्ति विषाद का कारण है। अब कोई आशा नहीं है। आने वाला कल अंधकारमय है और परसों तो अधिक अंधेरा छा जाएगा। जिन चीजों के उन्होंने स्वप्न देखे थे, वे चीजें बहुत सुंदर थीं। अब उन्हें वे मिल गई हैं उलझनों के साथ।

कोई व्यक्ति गरीब होता है तो उसमें भूख होती है। फिर व्यक्ति संपन्न होता है मगर उसमें भूख नहीं रहती। तुम्हारे पास हर चीज होती है, मगर भूख समाप्त हो जाती है, जिसके लिए तुम इतना संघर्ष करते रहे। तुम सफल हो गए। सफलता की तरह कुछ भी असफल नहीं होता। तुम जहां पहुंचना चाहते थे, वहां पहुंच गए। लेकिन, उसके आस-पास होने वाले परिणामों की तुम्हें जानकारी नहीं थी। तुम्हारे पास लाखों डॉलर हैं, मगर तुम सो नहीं सकते। जब व्यक्ति निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंच जाता है, तब उसे पता लगता है कि इन लक्ष्यों के चारों ओर बहुत सी बातें हैं।

जीवन भर तुम धन कमाने का प्रयत्न करते हो और सोचते हो जब तुम्हें यह मिल जाएगा तो तुम आराम का जीवन जिओगे। लेकिन तुम जीवन भर तनावग्रस्त रहे हो और जीवन के अंत में जब तुम्हें इच्छित धन-दौलत मिल जाती है तो तुम आराम से नहीं रह सकते। जीवन भर तनाव और पीड़ा में रहे हो और चिंता तुम्हें आराम नहीं लेने देगी। तुम विजयी नहीं हो, तुम तो एक हारे हुए व्यक्ति हो। तुमने अपनी भूख खो दी है, तुमने अपने स्वास्थ्य को नष्ट कर लिया है, तुम अपनी संवेदनशीलता को नष्ट कर लेते हो, अपनी संवेदना को नष्ट कर लेते हो।

तुम डॉलरों के पीछे दौड़ रहे हो। गुलाब के फूलों को देखने का समय किसके पास है? उड़ते हुए पक्षियों को देखने का समय किसके पास है? मनुष्य के सौंदर्य को देखने का समय किसके पास है? आनंद एक ऐसी वस्तु है जिसका पोषण किया जाना चाहिए। यह एक तरह का अनुशासन है, एक तरह की कला है। और इसमें समय लगता है, लेकिन जो धन के पीछे भाग रहा है, वह उस हर चीज की उपेक्षा कर रहा है जो दिव्यता के द्वार तक ले जाती है। राह के अंत में वह यात्रा समाप्त कर देता है तब उसके आगे मृत्यु के सिवाय कुछ भी नहीं होता।

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