Wednesday, March 30, 2016

Meditation (Kundalini)

OSHO Kundalini Meditation

प्रथम चरण: 15 मिनट
 
स्वयं को ढीला छोड़ दें और शरीर में कंपन होने दें। अनुभव करें कि ऊर्जा पांवों से ऊपर की ओर बह रही है। जो हो रहा है होने दें और कंपन मात्र हो जायें। आप अपनी आँखें खुली या बंद रख सकते हैं। 
 
“कंपन होने दें। इसे आरोपित न करें। शांत खड़े रहें, कंपन को आता महसूस करें और जब शरीर कंपने लगे तो उसको सहयोग दें पर उसे स्वयं से न करें। उसका आनंद लें, उससे आल्हदित हों, उसे आने दें, उसे ग्रहण करें, उसका स्वागत करें, परंतु उसकी इच्छा न करें। 
“यदि आप इसे आरोपित करेंगे तो यह एक व्यायाम बन जायेगा, एक शारीरिक व्यायाम बन जायेगा। फिर कंपन तो होगा लेकिन बस ऊपर-ऊपर, वह तुम्हारे भीतर प्रवेश नहीं करेगा। भीतर आप पाषाण की भांति, चट्टान की भांति ठोस बने रहेंगे; नियंत्रक और कर्ता तो आप ही रहेंगे, शरीर बस अनुसरण करेगा. प्रश्न शरीर का नहीं है – प्रश्न हैं आप।
“जब मैं कहता हूं कंपो, तो मेरा अर्थ है आपके ठोसपन और आपके पाषाणवत प्राणों को जड़ों तक कंप जाना चाहिये ताकि वे जलवत तरल होकर पिघल सकें, प्रवाहित हो सकें। और जब पाषाणवत प्राण तरल होंगे तो आपका शरीर अनुसरण करेगा। फिर कंपाना नहीं पड़ता, बस कंपन रह जाता है। फिर कोई उसे करने वाला नहीं है, वह बस हो रहा है। फिर कर्ता नहीं रहा।” ओशो
 दूसरा चरण: 15 मिनट
 जैसे भी चाहें नृत्य करें और अपने शरीर को इच्छानुसार गति करने दें। आपकी आंखे खुली या बंद रह सकती हैं।
 तीसरा चरण: 15 मिनट
 आँखें बंद कर लें और खड़े या बैठे हुए स्थिर हो जायें। अंदर और बाहर जो भी घट रहा है उसके प्रति सजग और साक्षी बनें रहें।
चौथा चरण: 15 मिनट
 आँखें बंद रखे हुए लेट जायें और स्थिर रहें। साक्षी बने रहें।

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